दीदी
दीदी,
तुम्हारे जाने के बाद ये घर ,अब घर न रहेगा,
पारिजात बिना ये स्वर्ग, अब स्वर्ग न रहेगा|
वर्षो से जिस घडी़ को टाल रहे थे
कुसुम की अंजुली मे जिसे संभाल रहे थे
उसे विदा करने की अब बेला आई है
घर की खुशियों पर काली घटा छाई है
किंकर्त्वयविमूढता की ऐसी अनुपम स्थिति
एक ही वक्त पर सुख-दुःख की समान परिस्थिति
देख मेरा चित् विस्मय खाता है
रह -रह कर मेरा दिल बैठ जाता है
निश्चय ही
मेरा जीवन अब वो जीवन न रहेगा
दीदी
तुम्हारे जाने के बाद ये घर,अब घर न रहेगा
पारिजात बिना ये स्वर्ग, अब स्वर्ग न रहेगा||
लगता जैसे
कल की ही तो बात है,मै कितना छोटा था
दिल से ही नही, दिमाग से भी खोटा था
अकारण ही हर वक्त,हर बात पर
जाने क्यूँ तुमसे कभी रूठता तो कभी लड़ लेता था
यह सोच -सोच शर्म से गडा़ जा रहा हूँ मैं
बेवजह खुद से लडा़ जा रहा हूँ मैं
माना, माफी के काबिल नही हूँ मैं
पर किसी निर्दोष का कातिल नही हूँ मैं
लेकिन
क्षमा बिना इस धड़ पर अब सर न रहेगा
दीदी
तुम्हारे जाने के बाद ये घर,अब घर न रहेगा
पारिजात बिना ये स्वर्ग, अब स्वर्ग न रहेगा||
मेरे लिए बचपन तो सिर्फ तुम लोगो का साथ था
बाकि सब तो महज एक आभास था
मेरी वजह से तुमने तकलीफें हजार झेले थे
मेरी जिंदगी मे मुझसे भी ज्यादा झमेले थे
पर अब ये सब न हो पाएगा
तुम्हारे गमन के साथ ही सबकुछ छूट जाएगा
केवल इन लम्हो को मैं याद कर पाऊँगा
चाह कर भी न मैं फरियाद कर पाऊँगा
लगता है,
तुम्हारे बिना अब ये चमन,चमन न रहेगा
दीदी
तुम्हारे जाने के बाद ये घर,अब घर न रहेगा
पारिजात बिना ये स्वर्ग, अब स्वर्ग न रहेगा||
घर पर रहा कब,मुझे बस कारावास मिला
जब भी देखा तुझे इन कातर नजरों से
तेरे साथ खडा़ होने का अहसास मिला
अब मैं बडा़ हो गया हूँ,अपने पैरों पर खडा़ हो गया हूँ
दुनिया की यह रीति देख, अचानक ही लड़खडा़ गया हूँ
वह दृश्य कितना दारूण होगा,जो तुम्हारे जाने का क्षण होगा
माँ का कैसा मन होगा,पापा का कैसा तन होगा
कल्पना मात्र से ही मेरा मन विचलित हो जाता है
बेशक
सुमन बिना ये उपवन ,अब गुलशन न रहेगा
दीदी
तुम्हारे जाने के बाद ये घर,अब घर न रहेगा
पारिजात बिना ये स्वर्ग, अब स्वर्ग न रहेगा||
खैर
खुशी है तुम्हें एक अच्छा परिवार मिला
निज घर-सा सुंदर आसार मिला
प्रभात -सा नव जीवन संचार मिला
फिर भी,
तुम याद हमे बहुत आओगी
भोजन के वक्त सबसे अधिक रूलाओगी
अब तो मैं उस स्वाद रस को भी तरस जाऊँगा
पता नही अब कैसा खाना खाऊँगा
दीदी
तुम्हारे बिना ये किचन,अब किचन न रहेगा
तुम्हारे जाने के बाद ये घर,अब घर न रहेगा
पारिजात बिना ये स्वर्ग, अब स्वर्ग न रहेगा||
तुम मुझे राखी बांधो ,ऐसा कहाँ मेरा नसीब रहा
कई वर्षों से यह हाथ सूना ही है
पर शायद, अब इसे इसी तरह जीना ही है
जानता हूँ ,इसमें न तुम्हारा कोई दोष था
खुद ,खरीद ,बाँध लूँ इसमें मुझे न कभी संतोष था
लोग कोसते रहे इस बात के लिए
मुझे पर
लेश मात्र भी न मेरे मन मे आक्रोश था
हाँ,
तुम्हारे बिना कोई पर्व ,अब पर्व न रहेगा
दीदी,
तुम्हारे जाने के बाद ये घर,अब घर न रहेगा
पारिजात बिना ये स्वर्ग, अब स्वर्ग न रहेगा||
अब क्या लिखूँ ,इस कहानी का ना कोई अंत है
यह तो सागर-सम, असीम,अपार,अनंत है
वैसे भी इस कहानी का हर हिस्सा
तुझपे ही आरंभ और तुझीपे अंत है
जो रहेगा मेरे पास सर्वदा,वो जीवनपर्यंत है
मुझे भविष्य का ज्ञान नही
निज का सुख-चैन सम्मान नही
सदा तुम्हारे भले की कामना करता हूँ
पर इसमे भी मेरा कोई मान नही
आखिर,
कोयल बिना ये बसंत ,अब बसंत न रहेगा
दीदी
तुम्हारे जाने के बाद ये घर,अब घर न रहेगा
पारिजात बिना ये स्वर्ग, अब स्वर्ग न रहेगा||
मैं तुम जैसा आस्तिक नही,ना ही हूँ मै कृष्णभक्त
ना ही मैं भाग्य समर्थक ,ना ही निज-आसक्त
जानता ही नही क्या है तुम्हारा मुस्तकबिल
लेकिन वादा है हमेशा तेरे साथ रहेगा मेरा दिल
कई सालों से मंदिर मैं गया नहीं, ना ही मस्जिद के पत्थर है चूमे
ना ही गुरूव्दारे की गुरूवाणी सुनी,ना ही चर्च के घंटे
लो,आज मैं प्रण करता हूँ
तुम्हारी खुशहाली हेतु, इनके संग नाता जोड़ता हूँ
अपना सर इनके दर पर टिकाकर,
बदले मे मैं तुम्हारी खुशियाँ माँगता हूँ
विश्वास है मुझे,
आज के बाद तुम्हारी जिंदगी में कोई गम,अब गम न रहेगा
दीदी
तुम्हारे जाने के बाद ये घर,अब घर न रहेगा
पारिजात बिना ये स्वर्ग, अब स्वर्ग न रहेगा||
आखिरकार यह वचन मेरा तुमसे है
हर वो चीज़ जिसपर हो विश्वास तुम्हारा,
खाकर उसकी कसम से है
समझना न खुद़ को कभी अकेला तुम
हर मुश्किल मे मुझे याद करना
भले ही कोई साथ न दे तुम्हारा
पर खडा़ रहेगा अडिग,अविचल हमेशा
साथ तेरे ये अनुज तुम्हारा
इसी प्रण के साथ तुम्हे मैं अलविदा कहता हूँ
खुदा़ से अपने खुशियों के बदले ,तुम्हारा गम माँगता हूँ
मेरे लिए
इससे अनुपम रिश्ता ,अब कोई रिश्ता न रहेगा
दीदी
तुम्हारे जाने के बाद ये घर,अब घर न रहेगा
पारिजात बिना ये स्वर्ग, अब स्वर्ग न रहेगा||
Superb...... Your poem is soulful. It has made me think deep about everything. You have the great skill to put ur words into a poem.. Very nice
ReplyDeleteThanks,keep supporting.
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